परिचय
गलसुआ के लक्षण (Galsua ke lakshan):-गलसुआ, जिसे मम्प्स के नाम से भी जाना जाता है, एक संक्रामक बीमारी है जो परोटिड ग्रंथियों को प्रभावित करती है। ये ग्रंथियाँ कान के नीचे और जबड़े के किनारे स्थित होती हैं। गलसुआ की बीमारी मुख्य रूप से बच्चों में पाई जाती है, लेकिन वयस्कों में भी इसका संक्रमण हो सकता है। इस बीमारी का संक्रमण विशेष रूप से उन लोगों में होता है जिन्होंने इस रोग के लिए टीकाकरण नहीं कराया है।
गलसुआ के प्रकार
गलसुआ के संक्रमण को इसके लक्षणों और गंभीरता के आधार पर दो मुख्य प्रकारों में बांटा जा सकता है:
1. सामान्य गलसुआ: इस प्रकार का संक्रमण अधिकतर बच्चों में होता है और इसमें हल्के से मध्यम लक्षण होते हैं जैसे गले में सूजन, बुखार और थकान।
2. जटिल गलसुआ: यह गंभीर प्रकार का संक्रमण है जिसमें अधिक तीव्र लक्षण होते हैं। यह संक्रमण मस्तिष्क की झिल्ली (मेनिन्जाइटिस), अंडकोष (ऑर्काइटिस), और अंडाशय (ओओफोराइटिस) जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
गलसुआ के कारण
गलसुआ का मुख्य कारण पैरामाइक्सोवायरस होता है, जो परोटिड ग्रंथियों में सूजन का कारण बनता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, या बात करने से हवा में फैलता है और इसे सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर लेता है। इस वायरस का संक्रमण शरीर में आने के बाद 14-25 दिनों के भीतर लक्षण उत्पन्न करता है।
गलसुआ के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. टीकाकरण की कमी: जिन लोगों ने गलसुआ का टीका नहीं लगवाया है, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
2. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति इस वायरस से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
3. भीड़भाड़ वाले स्थान: जहां लोग अधिक संख्या में इकट्ठा होते हैं, वहां इस वायरस का फैलाव अधिक होता है।
गलसुआ के नुकसान
गलसुआ एक ऐसी बीमारी है जो समय पर इलाज न होने पर गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। इसके मुख्य नुकसान इस प्रकार हैं:
1. मेनिन्जाइटिस: गलसुआ मस्तिष्क की झिल्ली में सूजन का कारण बन सकता है, जो मेनिन्जाइटिस के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है।
2. ऑर्काइटिस और ओओफोराइटिस: यह बीमारी पुरुषों में अंडकोष और महिलाओं में अंडाशय में सूजन का कारण बन सकती है, जो प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकती है।
3. बहरापन: कुछ मामलों में, गलसुआ के कारण सुनने की क्षमता में कमी या पूर्ण बहरापन हो सकता है।
4. पैंक्रियाटाइटिस: यह स्थिति अग्न्याशय (पैंक्रियास) में सूजन का कारण बन सकती है, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है।
5. अन्य जटिलताएं: गलसुआ के कारण अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं, जैसे कि गठिया, दिल की समस्याएं और थायरॉयड ग्रंथियों में सूजन।
Galsua ke lakshan
गलसुआ के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 14-25 दिनों बाद प्रकट होते हैं। इसके कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
1. गले के किनारों पर सूजन और दर्द
2. बुखार
3. थकान और कमजोरी
4. सिरदर्द
5. चबाने या निगलने में कठिनाई
6. भूख में कमी
गलसुआ के उपाय
गलसुआ का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और जटिलताओं से बचने के लिए कुछ घरेलू और चिकित्सीय उपाय अपनाए जा सकते हैं।
1. आराम: पर्याप्त आराम करना बेहद आवश्यक है ताकि शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत मिल सके।
2. पारासिटामोल: बुखार और दर्द के लिए डॉक्टर की सलाह पर पारासिटामोल का सेवन किया जा सकता है।
3. तरल पदार्थों का सेवन: शरीर में पानी की कमी न होने दें। ताजे फलों का रस, सूप, और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें।
4. नरम आहार: गलसुआ के दौरान ठोस भोजन से बचें और नरम आहार लें ताकि चबाने में परेशानी न हो।
5. गर्म संपीड़न: सूजन वाले स्थान पर गर्म पानी की पट्टी रखने से आराम मिल सकता है।
6. टीकाकरण: इस बीमारी से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है MMR (मम्प्स, मीज़ल्स, रूबेला) टीकाकरण, जो बच्चों को सामान्यत: 12-15 महीने की आयु में दिया जाता है।
गलसुआ के खाना
गलसुआ के दौरान और बाद में उचित आहार का सेवन बेहद महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ खाने के सुझाव दिए जा रहे हैं:
1. तरल पदार्थ: जैसे सूप, जूस, नारियल पानी, और हर्बल चाय। ये शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करते हैं और पाचन को आसान बनाते हैं।
2. नरम भोजन: दलिया, खिचड़ी, दही, और सूप जैसे नरम और हल्के आहार का सेवन करें।
3. फल: ताजे फलों का सेवन करें जिनमें विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है, जैसे संतरा, पपीता, और कीवी। ये प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होते हैं।
4. फास्ट फूड से बचें: फास्ट फूड, तेलीय और मसालेदार भोजन से बचें, क्योंकि ये पाचन को प्रभावित कर सकते हैं।
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निष्कर्ष
गलसुआ एक गंभीर बीमारी हो सकती है अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए। इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका टीकाकरण है। यदि किसी को गलसुआ हो जाता है, तो घरेलू उपायों के साथ-साथ डॉक्टर की सलाह पर उचित दवाओं का सेवन करना चाहिए। सही आहार और आराम भी इस बीमारी के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।