परिचय:-
ग्रासनली का कैंसर, (Grasnali ka Cancer)जिसे अंग्रेजी में Esophageal Cancer कहा जाता है, वह कैंसर है जो ग्रासनली (खाने की नली) में उत्पन्न होता है। यह कैंसर तब होता है जब ग्रासनली की कोशिकाएँ अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर का निर्माण करती हैं। यह कैंसर धीरे – धीरे शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है, और इसलिए इसे जल्दी पहचानना और उसका उपचार करना अत्यंत आवश्यक होता है।
ग्रासनली का कैंसर क्या है:-
ग्रासनली एक लंबी नली होती है जो हमारे गले से पेट तक भोजन को ले जाती है। जब इस नली की कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो कैंसर बन जाता है। ग्रासनली के कैंसर के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:
1. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma): यह कैंसर ग्रासनली की ऊपरी परत की कोशिकाओं में शुरू होता है।
2. एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma): यह कैंसर ग्रासनली की ग्रंथियों में शुरू होता है, और आमतौर पर इसका संबंध पेट की एसिडिटी से होता है।
लक्षण:-
ग्रासनली के कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती चरण में स्पष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हो सकते हैं:
1. निगलने में कठिनाई (Dysphagia): यह इस कैंसर का सबसे सामान्य लक्षण होता है। शुरुआत में ठोस भोजन निगलने में परेशानी होती है, और बाद में तरल पदार्थ निगलने में भी कठिनाई हो सकती है।
2. वजन में अचानक गिरावट: बिना किसी प्रयास के वजन में कमी कैंसर का एक सामान्य लक्षण है।
3. छाती में दर्द: कई रोगियों को छाती के बीच में जलन या दर्द महसूस हो सकता है।
4. खांसी या स्वर बैठना: लगातार खांसी या आवाज में परिवर्तन भी इसका एक लक्षण हो सकता है।
5. थकान और कमजोरी: शरीर में कमजोरी और थकान बनी रहती है।
ग्रासनली के कैंसर के चरण (Stages of Esophageal Cancer):-
इस कैंसर को 4 चरणों (Stages) में बांटा गया है:
1. चरण 1: इस चरण में कैंसर केवल ग्रासनली की ऊपरी परत में होता है।
2. चरण 2: इस चरण में कैंसर ग्रासनली की दीवार के भीतर फैलने लगता है, लेकिन आस – पास के अंगों तक नहीं पहुंचा होता।
3. चरण 3: इस चरण में कैंसर ग्रासनली की दीवार से बाहर निकलकर आस – पास के ऊतकों या अंगों में फैल सकता है।
4. चरण 4: यह सबसे उन्नत चरण होता है, जहां कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है, जैसे कि लिवर, फेफड़े या अन्य अंगों में।
कारण और जोखिम कारक (Causes and Risk Factors):-
ग्रासनली के कैंसर के प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
1. धूम्रपान और शराब का सेवन: अत्यधिक धूम्रपान और शराब का सेवन ग्रासनली के कैंसर का सबसे बड़ा जोखिम कारक है।
2. अस्वास्थ्यकर आहार: उच्च वसा और कम फल – सब्जियों वाले आहार से इस कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
3. एसिड रिफ्लक्स: पेट की एसिडिटी या गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) लंबे समय तक रहने पर ग्रासनली की कोशिकाओं में बदलाव लाकर एडेनोकार्सिनोमा का खतरा बढ़ा सकती है।
4. मोटापा: अत्यधिक वजन भी इस कैंसर का कारण बन सकता है।
5. बैरिट्स इसोफेगस (Barrett’s Esophagus): इस स्थिति में ग्रासनली की कोशिकाएं पेट की एसिडिटी से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
परीक्षण और निदान (Diagnosis):-
ग्रासनली के कैंसर का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
1. एंडोस्कोपी: इसमें एक लचीली नली का उपयोग करके डॉक्टर ग्रासनली की जांच करते हैं।
2. बायोप्सी: यदि एंडोस्कोपी के दौरान असामान्य ऊतक मिलते हैं, तो डॉक्टर उस ऊतक का नमूना लेकर जांच करते हैं।
3. सीटी स्कैन और एमआरआई: यह परीक्षण यह जानने में मदद करते हैं कि कैंसर कितना फैला है।
4. पीईटी स्कैन (PET Scan): इस परीक्षण से यह पता चलता है कि कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैला है या नहीं।
उपचार (Treatment):-
ग्रासनली के कैंसर का उपचार उसकी अवस्था पर निर्भर करता है। कुछ सामान्य उपचार विधियाँ इस प्रकार हैं:
1. सर्जरी: प्रारंभिक चरण में, डॉक्टर ग्रासनली का कैंसरयुक्त हिस्सा हटा सकते हैं। इसे Esophagectomy कहते हैं।
2. रेडिएशन थेरेपी: कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च – ऊर्जा किरणों का उपयोग किया जाता है।
3. कीमोथेरेपी: दवाओं का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है।
4. इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी: ये नई तकनीकें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने के लिए उत्तेजित करती हैं या कैंसर कोशिकाओं पर सीधा प्रभाव डालती हैं।
5. स्टेंटिंग: कभी – कभी कैंसर के कारण ग्रासनली संकरी हो जाती है, जिससे खाने – पीने में परेशानी होती है। इस स्थिति में ग्रासनली को चौड़ा करने के लिए स्टेंट डाला जाता है।
जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes):-
कैंसर की संभावना को कम करने के लिए कुछ जीवनशैली में बदलाव जरूरी हैं:
1. धूम्रपान और शराब छोड़ना: यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है, जिससे कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
2. स्वास्थ्यवर्धक आहार: संतुलित आहार, जिसमें फल, सब्जियाँ, और फाइबर की मात्रा अधिक हो, इस कैंसर से बचाव में सहायक हो सकता है।
3. वजन नियंत्रित करना: मोटापा इस कैंसर का एक प्रमुख कारण है, इसलिए नियमित व्यायाम और संतुलित आहार से वजन नियंत्रित रखना जरूरी है।
4. एसिड रिफ्लक्स का उपचार: यदि किसी को लंबे समय से एसिडिटी की समस्या है, तो उसका समय रहते इलाज कराना आवश्यक है।
निवारण के उपाय (Preventive Measures):-
1. धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
2. अधिक फल, सब्जियाँ और फाइबर युक्त आहार लें।
3. वजन संतुलित रखें।
4. एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो तो उसका तुरंत इलाज कराएं।
5. नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें, खासकर यदि परिवार में कैंसर का इतिहास हो।
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निष्कर्ष:-
ग्रासनली का कैंसर (Grasnali ka Cancer) एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन इसका प्रारंभिक निदान और सही उपचार रोगी की जीवन प्रत्याशा को बढ़ा सकता है। धूम्रपान और शराब से बचाव, सही आहार, और समय पर स्वास्थ्य जांच इस बीमारी से बचाव में महत्वपूर्ण हैं। यदि किसी को उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक परीक्षण करवाएं।