रेटिनल डिटैचमेंट के लक्षण: कारण, लक्षण, और उपचार

रेटिनल डिटैचमेंट के लक्षण (Retinal Detachment) एक गंभीर आंख की समस्या है, जिसमें रेटिना (आंख की पिछली सतह पर स्थित एक नाजुक परत) अपनी जगह से हट जाती है। रेटिना का मुख्य कार्य प्रकाश और छवियों को संवेदी कोशिकाओं में बदलना होता है, ताकि मस्तिष्क उन छवियों को देख सके। जब रेटिना अपनी मूल स्थिति से हट जाती है, तो यह एक आपातकालीन स्थिति बन जाती है, जिसे तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। रेटिनल डिटैचमेंट समय पर न रोका जाए तो इससे स्थायी अंधापन हो सकता है।

रेटिनल डिटैचमेंट के लक्षण
रेटिनल डिटैचमेंट के लक्षण

रेटिनल डिटैचमेंट के प्रकार:-

1. रहेग्मेटोजेनस (Rhegmatogenous Retinal Detachment): इस प्रकार के डिटैचमेंट में रेटिना में एक छिद्र या टूटना होता है, जिससे रेटिना के नीचे तरल पदार्थ जमा हो जाता है। यह धीरे-धीरे रेटिना को उसके स्थान से अलग कर देता है।

2. ट्रैक्शनल (Tractional Retinal Detachment): यह डिटैचमेंट तब होता है जब रेटिना को खींचा जाता है या किसी बाहरी ताकत से अलग किया जाता है। यह आमतौर पर मधुमेह रोगियों में पाया जाता है, जिनमें रेटिना पर खींचाव पैदा होता है।

3. एक्सुडेटिव (Exudative Retinal Detachment): इस प्रकार में रेटिना में किसी प्रकार का सूजन या द्रव का रिसाव होता है, जिससे रेटिना अपनी जगह से हट जाती है। यह किसी चोट, सूजन, या ट्यूमर के कारण हो सकता है।

 रेटिनल डिटैचमेंट के कारण:-

1. बुजुर्गों में उम्र बढ़ना: उम्र के साथ रेटिना की कोशिकाओं में कमजोरी आने लगती है, जिससे यह समस्या हो सकती है।

2. आंखों में चोट: किसी प्रकार की आंख की चोट रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे यह अपनी जगह से हट सकती है।

3. मधुमेह: मधुमेह रोगियों में उच्च शर्करा स्तर रेटिना को प्रभावित करता है, जिससे ट्रैक्शनल रेटिनल डिटैचमेंट हो सकता है।

4. मायोपिया (निकट दृष्टि दोष): जिन लोगों को मायोपिया है, उनमें रेटिनल डिटैचमेंट का खतरा अधिक होता है।

5. रेटिनल सर्जरी या लेजर उपचार: कभी-कभी आंखों की सर्जरी या लेजर ट्रीटमेंट के बाद भी रेटिना में समस्या हो सकती है।

लक्षण:-

1. आंखों के सामने अचानक फ्लोटर्स का दिखना: फ्लोटर्स छोटे धब्बों या रेखाओं के रूप में दिखाई देते हैं, जो आंखों के सामने तैरते हुए महसूस होते हैं।

2. रोशनी की चमक: अचानक रोशनी की चमक महसूस होना रेटिनल डिटैचमेंट का एक प्रमुख संकेत हो सकता है।

3. दृष्टि में परदा या छाया आना: यदि आपको ऐसा लगे कि आपकी दृष्टि में किसी प्रकार का परदा या छाया आ रही है, तो यह रेटिनल डिटैचमेंट का लक्षण हो सकता है।

4. धुंधली दृष्टि: आंखों की दृष्टि अचानक धुंधली हो सकती है और यह धीरे-धीरे खराब हो सकती है।

5. दृष्टि का कम होना: दृष्टि का आंशिक या पूर्ण रूप से कम होना रेटिनल डिटैचमेंट का एक गंभीर लक्षण हो सकता है, जिसे तुरंत चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है।

निदान:-

अगर आपको रेटिनल डिटैचमेंट के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। रेटिनल डिटैचमेंट का पता लगाने के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जा सकते हैं:

1. फंडस परीक्षण (Fundus Examination): इस परीक्षण में डॉक्टर आंख की पिछली सतह की जांच करते हैं ताकि यह देखा जा सके कि रेटिना सही स्थिति में है या नहीं।

2. अल्ट्रासाउंड स्कैन: यह परीक्षण आंखों के अंदर की स्थिति को और गहराई से समझने में मदद करता है, खासकर अगर आंख में रक्त जमाव हो रहा हो।

उपचार:-

रेटिनल डिटैचमेंट का इलाज समय पर न करने पर दृष्टि पूरी तरह से खत्म हो सकती है। इलाज के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है:

1. लेजर फोटोकॉआग्यूलेशन (Laser Photocoagulation): यह उपचार तब उपयोग किया जाता है जब रेटिना में कोई छोटा छिद्र हो। लेजर किरणों का उपयोग कर रेटिना के छिद्र को बंद किया जाता है ताकि तरल पदार्थ अंदर न घुसे और रेटिना अपनी जगह से न हटे।

2. क्रीयोपेक्सी (Cryopexy): इस प्रक्रिया में रेटिना को ठंडा करके छिद्रों को बंद किया जाता है, ताकि रेटिना अपनी जगह पर बनी रहे।

3. स्क्लरल बकलिंग (Scleral Buckling): इस प्रक्रिया में आंख के बाहरी हिस्से पर एक सिलिकॉन बैंड लगाया जाता है ताकि रेटिना को अंदर की ओर दबाया जा सके और उसकी स्थिति ठीक हो सके।

4. पैरस प्लैना विट्रेक्टॉमी (Pars Plana Vitrectomy): यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें रेटिना के पीछे जमा तरल पदार्थ को हटाया जाता है और रेटिना को फिर से सही स्थिति में लगाया जाता है।

 बचाव के उपाय:-

रेटिनल डिटैचमेंट को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर इसके खतरे को कम किया जा सकता है:

1. आंखों की नियमित जांच कराएं: खासकर अगर आप मायोपिया या मधुमेह जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं, तो नियमित आंखों की जांच कराना महत्वपूर्ण है।

2. आंखों को चोट से बचाएं: खेल या किसी गतिविधि के दौरान आंखों की सुरक्षा का ध्यान रखें, जिससे आंखों में चोट न लगे।

3. मधुमेह को नियंत्रित रखें: मधुमेह के मरीजों को अपने शर्करा स्तर को नियंत्रित रखना चाहिए ताकि रेटिना पर इसका प्रभाव कम हो।

4. आंखों के लक्षणों पर ध्यान दें: अगर आप अचानक फ्लोटर्स, रोशनी की चमक, या धुंधली दृष्टि जैसे लक्षण अनुभव करते हैं, तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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निष्कर्ष:-

रेटिनल डिटैचमेंट एक गंभीर नेत्र रोग है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समय पर इलाज कराने से दृष्टि को बचाया जा सकता है, और इसके लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। नियमित नेत्र जांच और सावधानियों से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।

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