देश भर में कोरोना के मामले में जबरदस्त उछाल आया है। नए साल के दूसरे दिन 500 से ज्यादा केस मिले हैं। जिसकी वजह से देश में एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर 4,565 हो गई है। वहीं, इसके नए वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) के देश में अब तक कुल 196 मामले सामने आए हैं। इन सबके बीच अब एक और बीमारी लोगों के अंदर डर पैदा कर रही है। सीजनल इंफ्लुएंजा लोगों को अपना शिकार बनाने लगी है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या इसकी वजह से बढ़ गई है।
कोरोना vs सीजनल इन्फ्लुएंजा
कोविड के साथ ही सीजनल इन्फ्लुएंजा का खतरा बढ़ रहा है। दून अस्पताल के रेस्पिरेटरी विभाग में आने वाले सभी मरीजों की इन्फ्लुएंजा की जांच की जा रही है। जिले में दो कोविड के मरीज मिल चुके हैं। वहीं, सीजनल इन्फ्लुएंजा के मरीज भी लगातार बढ़ रहे हैं।
अब तक पांच से अधिक इन्फ्लुएंजा ए के मरीज आ चुके हैं। ऐसे में सोमवार से दून अस्पताल में मरीजों के लिए फ्लू ओपीडी भी शुरू हो गई है। पहले दिन यहां पर 20 मरीजों ने इलाज करवाया। दून अस्पताल के एमएस डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि सीजनल इन्फ्ललुंजा और कोविड के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। इसमें सर्दी, जुकाम, बुखार और बदन दर्द की समस्या होती है। हालांकि कुछ मरीजों में यह ज्यादा और कम हो सकता है।
सी केटेगिरी होने पर मरीज की हालत हो सकती है गंभीर
कोरोना इन्फ्लुएंजा ए और बी में खतरा नहीं डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि 2009 में स्वाइन फ्लू आया था। उस समय कुछ मरीजों की मौत भी हुई थीं। इसके बाद इस बीमारी को सरकार ने तीन, चार साल तक फॉलो किया। इसके बाद इसमें मौत कम होने लगीं। इसके बाद इसको सीजनल इन्फ्लुएंजा की श्रेणी में डाल दिया गया। इन्फ्लुएंजा के ए, बी और सी केटेगिरी में ए और बी खतरनाक नहीं होता है। सी केटेगिरी होने पर मरीज की हालत गंभीर हो सकती है। हालांकि किसी भी बीमारी से पहले जांच जरूरी होती है।
डरे नहीं, घातक नहीं है सीजनल इन्फ्लुएंजा
कोरोना स्टेट सर्विलांस अधिकारी डॉ. पंकज सिंह ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह क्लियर किया कि स्वाइन फ्लू वायरस अब सीजनल इन्फ्लुएंजा यानी मौसमी जुकाम बुखार है। अधिकतर मरीजों में यह मामूली जुकाम-बुखार की तरह ही होता है। लक्षण बढ़ने पर डॉक्टरी परामर्श के बाद ही दवा लेनी चाहिए।
लक्षण
सिर दर्द
खांसी
जुकाम, गले में खराश
बुखार और ठंड लगना
बदन दर्द
थकान और कमजोरी
जी मिचलाना
निमोनिया
सांस की समस्या
यह सावधानी बरतें
– किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें
– मरीज को आइसोलेट कर दें
– मरीज की इस्तेमाल की हुई चीजें इस्तेमाल न करें
– मरीज के खांसने और छींकने से यह संक्रमण फैल सकता है
– डॉक्टर से सलाह लें