पीलिया (JAUNDICE) -पीलिया लिवर का सबसे आम बीमारी में से एक है। जब शरीर में पीलिया होता है तो शरीर में बिलिरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है। बिलोरुबिन पीले नारंगी रंग का होता है जो पित्त में पाया जाता है। जब रक्त कोशिकाओं से हिमोग्लोबिन खत्म होने लगता है तो हिमोग्लोबिन के टूटने से बिलीबुरीन का संचार होता है।
पीलिया (JAUNDICE) के लक्षण–
इस बीमारी में शरीर के नाखून,पेशाब पीला आना,पीला मल आना आंखे पीली दिखना इसके आम लक्षण हैं।
कई बार तो ऐसा होता है कि पीलिया शरीर में मौजूद होता है, लेकिन कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है, तो पीलिया के कारण का पता लगाकर इसकी गंभीरता का पता लगाया जाता है।
पीलिया कभी कभी और कारणों से हो सकता है जिसके निम्न लक्षण हो सकते हैं।
- संक्रमण के कारण होने वाला पीलिया निम्नलिखित लक्षणों के साथ हो सकता है:
a. फ्लू जैसे लक्षण जैसे तेज बुखार और ठंड लगना शामिल हैं
b. पेट में दर्द हो सकता है
c. पीली त्वचा
d. गहरे रंग का मूत्र और/या मिट्टी के रंग का मल
- यदि संक्रमण के कारण पीलिया नहीं होता है, तो आपको निम्न लक्षण हो सकते हैं:
a. वजन घटना
b. त्वचा में खुजली - लीवर की बीमारी के कारण होने वाला पीलिया निम्नलिखित लक्षणों के साथ हो सकता है:
a. जोड़ों की सूजन
b. लिवर पर सूजन
c. हेपेटाइटिस ए, बी और सी का प्रारंभिक चरण
d. कुछ त्वचा रोग भी हो सकते हैं।
पीलिया के कारण –
पीलिया (JAUNDICE)-पीलिया सबसे आम लिवर की परेशानी से हो सकता है।
पीलिया के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें कुछ निम्न लिखित हैं:
- वायरल इन्फेक्शन: वायरल हेपेटाइटिस (जैसे हेपेटाइटिस ए, बी, और सी) पीलिया का सामान्य कारण है।
- अल्कोहल: अधिक अल्कोहल का सेवन भी लिवर को नुकसान पहुंचाता है और पीलिया का कारण बन सकता है।
- गलब्लैडर की समस्या: गलब्लैडर में स्टोन, इंफेक्शन या कैंसर भी पीलिया के कारण बन सकते हैं।
- गर्भावस्था: कई बार गर्भावस्था में मां के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो पीलिया का कारण बन सकते हैं।
- एरिथ्रोसाइटोसिस: कुछ बार यह रोग जिगर की कार्यक्षमता को कम कर सकता है और पीलिया का कारण बन सकता है।
- लिवर के रोग: लिवर के रोग, जैसे कि सिरोसिस या जिगर कैंसर, पीलिया का कारण बन सकते हैं।
- जीवाणु या पैराजीविक संक्रमण: निश्चित प्रकार के जीवाणु या पैराजीविक संक्रमण, जैसे कि मलेरिया, भी पीलिया का कारण बन सकते हैं।
- एनजाइम की कमी: कई गंभीर रोग, जैसे कि गलब्लैडर या पैनक्रियाटिक कैंसर, जिगर की स्वास्थ्यशास्त्रीय कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और पीलिया का कारण बन सकते हैं।
- अल्ट्रासाउंड इमेजिंग के दौरान उपयोगिता: कई बार लिवर की स्क्रीनिंग के दौरान इलाज या प्रक्रिया के दौरान जोरदार अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है, जो पीलिया का कारण बन सकता है।
पीलिया (JAUNDICE) नवजात शिशुओं में पीलिया काफी आम है लगभग साठ प्रतिशत क्योंकि उनका लिवर बिलीरुबिन को खत्म करने के लिए पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। जब बच्चा बड़ा होता जाता है तो यह आमतौर पर समय के साथ दूर हो जाता है।
पीलिया (JAUNDICE) के घरेलू उपचार–
पीलिया (JAUNDICE) के कुछ प्राकृतिक उपचार इस प्रकार हैं:
- प्राकृतिक धूप: नवजात के लिए प्राकृतिक धूप बहुत फायदेमंद हो सकती है। सूर्य के प्रकाश में एक विस्तृत स्पेक्ट्रम शामिल है जिसमें बिलीरुबिन को कम कर सकता है। प्राकृतिक धूप नवजात में पीलिया के लिए फोटोथेरेपी का विकल्प हो सकता है।
- खाने में बदलाव: पीलिया के दौरान शुद्ध और बहुत हल्का खाना खाना चाहिए जैसे कि दलिया,बिना मशाले या बिना तड़के वाली सब्जियां।
पीलिया दौरान, नमक और इमली या पके हुए चावल, तेल, घी मसालों और बाहर का खाना से परहेज करना चाहिए। मांसाहारी भोजन से भी बचना चाहिए। - गन्ने का रस: गन्ने का रस पीलिया में बहुत फायदेमंद हो सकता है। गन्ने का रस लीवर की बीमारियों के लिए अच्छा होता है।
- पपीते के पत्ते: पपीते की पत्तियां भी पीलिया को ठीक करने में मदद कर सकती हैं, इनमें मौजूद पपेन जैसे एंजाइम पीलिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।
- काला जीरा:
काले जीरे को पारंपरिक रूप से जीरा के नाम से जाना जाता है। काले जीरे में मौजूद फाइटोकॉन्स्टिट्यूएंट्स पीलिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। काले जीरे को हल्का भूनकर, पीसकर सेवन किया जा सकता है। - पुदीना: पुदीना के रस को शहद के साथ सेवन करने से फायदा मिल सकता है।
- मूली के पत्ते: मूली के पत्तों का सौ ग्राम रस को बीस ग्राम शक्कर मैं मिलाकर सुबह पीने से आराम मिल सकता है। या सुबह खाली पेट दो मूली को अच्छे से धोकर पत्ते सहित खाना चाहिए।
- हर्र का कमाल: बड़ी हर्र को पीसकर करेले के रस में मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ मिल सकता है।
- लहसुन: लहसुन की दो या तीन कलियां एक गिलास गर्म दूध के साथ लेने से पीलिया में आराम मिल सकता है।
पीलिया (JAUNDICE) के कुछ और घरेलू उपाय –
a. करेले का रस दिन में दो बार पीना चाहिए।
b. गाजर का रस पीना चाहिए।
c. जौ का सत्तू खाएं फिर उसके बाद गन्ने का रस पीना चाहिए।
पीलिया के दौरान कुछ सावधानी बरतनी चाहिए–
तेलयुक्त खाना, गर्म मिर्च मसाले वाले पदार्थ, घी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
हालांकि पीलिया (JAUNDICE) के लिए बताई गए घरेलू उपचार को चिकित्सा उपचार के विकल्प के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।
अगर ऊपर दिए गए लक्षणों में से कोई लक्षण दिखता है तो चिकित्सिक से सलाह लेना ठीक रहेगा,ताकि सही निदान और उपचार हो सके।