व्यवहारिक विकार (Behavioral Disorders) : कारण, प्रकार, लक्षण और उपचार

परिचय:-

व्यवहारिक विकार (Behavioral Disorders) मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे विकार हैं जो व्यक्ति के व्यवहार और सोचने की प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। ये विकार व्यक्ति के सामाजिक, शैक्षिक, और व्यक्तिगत जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। आमतौर पर ये विकार बचपन या किशोरावस्था में शुरू होते हैं, लेकिन उचित उपचार न मिलने पर वयस्क जीवन में भी जारी रह सकते हैं। इस लेख में हम व्यवहारिक विकारों के कारण, प्रकार, लक्षण, और उनके उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

Behavioral Disorders
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व्यवहारिक विकारों के कारण:-

व्यवहारिक विकार कई कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं, जो कि शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कारणों का मिश्रण होते हैं। मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

1. आनुवांशिक कारण: यदि परिवार के सदस्यों में कोई मानसिक विकार या व्यवहारिक विकार है, तो व्यक्ति के इस विकार से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है।

2. मस्तिष्क की असामान्यताएं: मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में असामान्यता होने से व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आ सकते हैं। न्यूरोट्रांसमिटर्स की कमी या असंतुलन भी एक महत्वपूर्ण कारण है।

3. मानसिक और शारीरिक आघात: किसी प्रकार का आघात, जैसे कि बचपन में शारीरिक या मानसिक शोषण, हिंसा, या ट्रॉमा, व्यवहारिक विकार उत्पन्न कर सकता है।

4. परिवारिक और सामाजिक माहौल: नकारात्मक पारिवारिक माहौल, माता-पिता के बीच झगड़े, अनुचित पालन-पोषण, और सामाजिक अस्वीकार्यता व्यवहारिक विकारों को जन्म दे सकते हैं।

5. मादक द्रव्यों का सेवन: नशीली दवाओं और शराब का अधिक सेवन मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है, जिससे व्यवहार में असामान्यताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

व्यवहारिक विकारों के प्रकार:-

व्यवहारिक विकार कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

1. अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD): यह विकार सामान्यतः बचपन में शुरू होता है, जिसमें व्यक्ति ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस करता है और अत्यधिक सक्रिय होता है। इसे ध्यान की कमी और अत्यधिक सक्रियता विकार भी कहते हैं।  

2. ऑपोज़िशनल डिफायंट डिसऑर्डर (ODD): इस विकार से ग्रसित व्यक्ति आमतौर पर नियमों का उल्लंघन करता है और निरंतर विद्रोही व्यवहार दिखाता है। वे अक्सर अपने माता-पिता, शिक्षकों, और अन्य प्राधिकरण व्यक्तियों के खिलाफ होते हैं।

3. कंडक्ट डिसऑर्डर (Conduct Disorder): इस विकार में व्यक्ति समाज के नियमों और कानूनों का उल्लंघन करता है। ऐसे व्यक्ति चोरी, झगड़ा, हिंसा, और अन्य असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं।  

4. टिक डिसऑर्डर (Tic Disorder): इस विकार में व्यक्ति के शरीर के विभिन्न हिस्सों में अनियंत्रित हलचल होती है। यह हिचकी या चेहरे पर अनियमित हलचल के रूप में प्रकट हो सकता है।  

5. इंटरमिटेंट एक्सप्लोसिव डिसऑर्डर (IED): इस विकार से पीड़ित व्यक्ति को अचानक अत्यधिक गुस्सा आता है और वे हिंसक व्यवहार कर सकते हैं।

 व्यवहारिक विकारों के लक्षण:-

व्यवहारिक विकार के लक्षण विभिन्न व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

1. असामान्य गुस्सा और चिड़चिड़ापन: ऐसे व्यक्तियों को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है और वे हिंसक हो सकते हैं।

2. समाज से दूरी बनाना: वे अक्सर समाज से दूर हो जाते हैं और अकेले रहना पसंद करते हैं।

3. आत्मसम्मान की कमी: अधिकांश समय वे आत्मसम्मान में कमी महसूस करते हैं और अपने बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं।

4. सामाजिक नियमों का उल्लंघन: वे समाज के नियमों और कानूनों का पालन नहीं करते हैं और असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं।

5. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस करना और किसी भी कार्य को लंबे समय तक न कर पाना एक सामान्य लक्षण है।

6. अपराध भावना: वे अक्सर अपराध या चोरी जैसे कार्यों में लिप्त हो सकते हैं।

व्यवहारिक विकारों का निदान:-

व्यवहारिक विकारों का निदान करने के लिए मनोचिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई तरीकों का उपयोग करते हैं:

1. साक्षात्कार और पूछताछ: व्यक्ति और उसके परिवार से विस्तृत जानकारी ली जाती है ताकि उसकी मानसिक स्थिति और व्यवहार के बारे में समझा जा सके।

2. मनोवैज्ञानिक परीक्षण: मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ विभिन्न मानसिक परीक्षणों का उपयोग करते हैं, जो व्यक्ति की सोचने की प्रक्रिया और व्यवहार का मूल्यांकन करते हैं।

3. परिवार और समाज के साथ बातचीत: व्यक्ति के परिवार और समाज के साथ बातचीत करके उसके व्यवहार के बारे में जानकारी जुटाई जाती है।

 व्यवहारिक विकारों का उपचार:-

व्यवहारिक विकारों का उपचार व्यक्ति की उम्र, विकार की गंभीरता और उसकी जीवनशैली के आधार पर किया जाता है। कुछ सामान्य उपचार निम्नलिखित हैं:

1. मनोचिकित्सा (Psychotherapy): यह उपचार पद्धति व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए उपयोग की जाती है। इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकें जैसे संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (Cognitive Behavioral Therapy) का प्रयोग किया जाता है।  

2. दवाइयां: कुछ मामलों में, मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स के असंतुलन को सुधारने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है। ये दवाइयां विशेष रूप से ADHD और ODD जैसे विकारों के लिए प्रभावी होती हैं।  

3. परिवार थेरेपी: परिवारिक समस्याएं और तनाव व्यवहारिक विकारों को बढ़ावा दे सकते हैं। परिवारिक थेरेपी से पूरे परिवार के सदस्यों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद मिलती है।  

4. व्यवहार प्रशिक्षण: इसमें व्यक्ति को सामाजिक नियमों और अनुशासन का पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह विधि बच्चों और किशोरों के लिए विशेष रूप से प्रभावी होती है।  

5. जीवनशैली में सुधार: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और ध्यान (Meditation) जैसे उपाय भी व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।

व्यवहारिक विकारों से बचाव:-

व्यवहारिक विकारों से बचने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:

1. सकारात्मक पारिवारिक माहौल: बच्चों को स्वस्थ और सकारात्मक माहौल प्रदान करना आवश्यक है। इससे उनका मानसिक विकास सही दिशा में होता है।

2. माता-पिता का ध्यान: माता-पिता को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उनके व्यवहार में किसी भी प्रकार की असामान्यता को पहचानना चाहिए।

3. सकारात्मक सामाजिक संबंध: बच्चों को सामाजिक गतिविधियों में शामिल करना और स्वस्थ संबंध बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

4. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान: बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की नियमित जांच आवश्यक है।

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Behavioral Disorders

निष्कर्ष:-

व्यवहारिक विकार एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो यदि समय पर पहचानी और उपचारित न की जाए तो जीवन के सभी पहलुओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। उचित मानसिक देखभाल, परिवार का समर्थन और सामाजिक सहायता से इस विकार का प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है। जागरूकता और प्रारंभिक हस्तक्षेप इस विकार से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण हथियार हैं।

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