प्रकृति के दिए हुए वरदानों में औषधीय पेड़ पौधों का महत्व बहुत ज्यादा है। औषधीय पौधे मानव जीवन चक्र में अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें न केवल भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है बल्कि जीव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी ये आगे रहते हैं, चाहे कार्बन चक्र हो या भोजन चक्र हो, इनकी भूमिका सर्वोत्तम है। व्यक्ति के शरीर को निरोगी बनाने के लिए औषधीय पौधों का महत्व सबसे ज्यादा है। इसलिए भारतीय पुराणों, उपनिषद, रामायण और महाभारत के अनुसार औषधीय पौधों का साक्ष्य मिलता है।
कुछ औषधीय पेड़ पौधों के गुण हैं जो नीचे निम्नलिखित हैं।
नीम के पेड़ पौधों के औषधीय गुण –
नीम का पौधा काफी ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध रहता है। देखा जाए तो नीम के फायदे अनगिनत हैं, अगर इसको घर का डॉक्टर कहा जाए तो गलत नहीं कहा जाएगा।
किसी भी तरह के त्वचा के रोग के लिए भी ये बहुत फायदेमंद है। अगर नहाते समय इसकी कुछ पत्तियों को मसलकर पानी में डाल दें तो त्वचा के रोग नहीं हो सकते। यदि सर्दी जुकाम है तो नीम की पत्तियों का भाप लेने से जुकाम में राहत मिल सकता है। नीम की पत्तियों को पीसकर चोट वाली जगह या घाव वाली जगह पर लगाने से जल्दी आराम मिल सकता है। बुखार में भी इसका बहुत फायदा है अगर किसी को बुखार है तो तीन चार पत्तियां एक कप पानी में उबालकर पीने से आराम मिल सकता है।
तुलसी के पौधे के औषधीय गुण –
औषधि के पौधों में तुलसी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण पौधा है। इसमें रोगों के कीटाणुओं को खत्म करने की गजब की काबीलियत पाई जाती है। इसकी पत्तियों में गजब का औषधीय गुण होता है जब हवा इन पत्तों से टकराकर निकलती है तो वहां का वातावरण बहुत ही शुद्ध हो जाता है। और इस वायु के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को बहुत लाभ रहता है।
तुलसी की पत्ती, तना और बीज गठिया, लकवा और वात दर्द में फायदेमंद होता है। सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां खाने से रक्त साफ होता है,वात रोग की परेशानी, गले की परेशानी आदि दूर होती है।
ध्यान दें कि तुलसी के पत्ते चबाकर नहीं खानी चाहिए सीधा निगल जाना फायदेमंद होता है।
आंवला के फल के औषधीय गुण –
आंवला को सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक घटक के रूप में जाना जाता है, आंवला खाने में और दवा दोनों के काम में आता है। आंवला अनगिनत स्वास्थ्य लाभों से भरा हुआ है। आंवला बहुत ही खट्टा फल होता है। इसका वनस्पति नाम एम्ब्लोका ऑफिजिनालिस या फिलेंथस इम्ब्लिका है। यह जड़ी बूटी शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो कि मुख्य कारण से होने वाली सेल ऑक्सीकरण को रोकते है। विरोधी उम्र बढ़ने से कैंसर, मधुमेह,ह्रदय रोग होने से एंटीऑक्सीडेंट बहुत ही महत्वपूर्ण है
आंवले में पाए जाने वाले पदार्थ –
आंवले में विटामिन सी बहुत ही ज्यादा मात्रा में होती है, इसमें बहुत से खनिज, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसी विटामिन मौजूद होती हैं।
हल्दी की गांठ के औषधीय गुण –
हल्दी हर घर में प्रयोग होने वाली वस्तु है, इसको पीसकर सब्जी बनाने के काम में लिया जाता है। हल्दी में कुछ रासायनिक तत्वों के कारण हल्दी शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। हल्दी में सूजन ठीक करने के और खून साफ करने के बहुत ही महत्वपूर्ण गुणकारी तत्व मौजूद होते हैं। अधिकांश रूम में सूखी हल्दी को प्रयोग किया जाता है लेकिन कच्ची हल्दी भी बहुत लाभदायक होती है। आयुर्वेद के अनुसार हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक, शोध नाशक और वायु विकारों के लोगों को ठीक करने में बहुत ही लाभदायक होती है। हल्दी की तासीर गर्म होती है इसके सेवन करने से पेट के कीटाणु खत्म हो जाते हैं। हल्दी वात, पित्त, कफ के रोगों को ठीक करने में बहुत ही लाभकारी है।
एलोवेरा के औषधीय गुण –
एलोवेरा का पौधा चित्र कुमारी और ध्रत कुमारी आदि नामों से जाना जाता है। गूदेदार और रसीला पौधा होता है। एलोवेरा के रस को अमृत तुल्य बताया गया है। फोड़े फुंसी पर यह गजब का असर करता है। इसके अलावा मुहासे, फटी एड़ियां, सनबर्न और आंखों के चारों तरफ काले धब्बे को दूर करने में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है। और इसके अलावा गठिया रोग, कब्ज, हृदय रोग, बवासीर और मोटापा दूर करने में आदि के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। एलोवेरा का रस बालों में लगाने से बाल काले, घने, मजबूत और नर्म रहते हैं इसका प्रयोग करने से गंजापन भी दूर होता है।
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चिरयता पौधे के औषधीय गुण –
चिरयता छोटानागपुर के जंगलों में बहुत ही ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसकी लंबाई 1 से 3 फिट होती है, और इसमें अनेकों पतली पतली शाखाएं होती हैं। और इसकी पत्तियां तीन से चार इंच लंबी, एक से दो इंच चौड़ी और भालाकार में होती हैं। चिरयता का रस जौंडिस जैसी बीमारियों को ठीक करने में किया जा सकता है जिसके लिए इसके पत्तों और बीजों को 50 ग्राम मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं और व्यक्ति को पिलाने से जोंडिस ठीक हो सकता है। इसकी पत्तियां दाद खाज खुजली पर लगाने से आराम मिल सकता है।
और और इसका सबसे महत्वपूर्ण लाभ खून साफ करने में किया जाता है जिसके लिए कुछ पत्तियां,उसकी लकड़ियां, बीजों को रात में गलाकर सुबह-सुबह पीने से खून साफ हो जाता है।
पत्थरचट्टा पौधे के औषधीय गुण –
पत्थरचट्टा पेट की पथरी के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। उसके दो पत्तों को अच्छे से धोकर सुबह-सुबह गर्म पानी से खाने से पथरी दो हफ़्ते में ठीक हो सकती है, लेकिन दो हफ्ते बाद अल्ट्रासाउंड जरूर कराएं जिससे पता चल जाए कि पथरी बची हुई है या नहीं। पत्थरचट्टा का एक चम्मच रस और शर्ट के चरण में मिलाकर खाने से पेट का दर्द ठीक हो सकता है। यहां पथरी के अलावा सभी तरह के मूत्र रोगों में लाभदायक हो सकता है।
शंख पुष्पी के पौधे के औषधीय गुण –
कमजोर दिमाग वालों के लिए शंखपुष्पी की पत्ती और तने का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लगातार इस्तेमाल से बच्चों की बुद्धि तीक्ष्ण और शरीर मजबूत होता है। शंखपुष्पी को मस्तिष्क की टॉनिक और तनाव दूर करने वाली औषधि माना जाता है। इससे अल्सर, दिल की बीमारी, और अस्थमा दूर करने में इसका प्रयोग किया जाता है।
अश्वगंधा के पौधे के औषधीय गुण –
अश्वगंधा में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जिससे वजन कम करने में और लकवा की परेशानी से लड़ने में बहुत ही लाभदायक होते हैं। अश्वगंधा के पौधों का प्रयोग बुखार, संक्रमण, सूजन आदि परेशानियों को ठीक करने में किया जाता है। अश्वगंधा की चाय पौधे और जड़ों से बनी हुई हो तो बच्चों को पिलाने से उनकी याददाश्त मजबूत होती है। अश्वगंधा से शरीर मजबूत होता है और वजन कम करने में यह बहुत ही लाभकारी है। इससे टूटी हड्डी जोड़ी जा सकती है और प्लेग की समस्या के लिए बहुत ही लाभदायक औषधि है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, यह हृदय की समस्या को रोकने में और मधुमेह के मरीज को आंखों में मोतियाबिंद की समस्या होने से बचाता है।
अशोक के वृक्ष के औषधीय गुण –
आमतौर पर लोग इस वृक्ष को सजावटी तौर पर मानते हैं, लेकिन इस वृक्ष के औषधीय गुण भी कम नहीं हैं, इस वृक्ष का वनस्पति नाम सारेका इंडिका है। इसकी छाल का उपयोग स्तंभक के रूप में किया जाता है। इसका काड़ा मुख्य रूप से पेचिस, बवासीर, अतिराजःस्त्राव, और स्वेतप्रदर में लाभदायक होता है। इसके सूखे फलों का प्रयोग करने से मधुमेह से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद होता है।